मेरी हस्ती
मेरी हस्ती की हकीकत क्या है
एक शोला है हवा की ज़द पर
जो भड़कता भी है
जो सर्द भी हो जाता है
या सफीना है कोई
वक्त की लहरों पे रवाँ
आज तक हस्ती ए मौहूम का इर्फां न हुआ
खुदशनासी व खुदआगाही क्या
नफ्स ए नाकारा तकाज़े तेरे
खुदफरेबी के सिवा कुछ भी नही
कौन समझायेगा हस्ती की हक़ीक़त मुझको
है कोई?
कोई भी है?
~ज़रीना सानी
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