Saturday 18 February 2012

रूही कुंजाही

और अभी तेज दौड़ना है मुझे
जिंदगी दूर की सदा है मुझे

हूँ मुसलसल सफ़र में मिस्ल-ए-हवा
खुदसरीमेरी रहनुमा है मुझे

जाने उसकी जुदाई क्या होगी
जिसका मिलना ही हादसा है मुझे

वो भी याद आयेगा खुदा के साथ
वो भी मम्नुन कर गया है मुझे

हो चुका ख़त्म दौर ख्वाबों का
अब हक़ाइक क़ा सामना है उझे
~रूही कुंजाही
मिस्ल-ए-हवा =पवन जैसा ; मम्नुन =कृतज्ञ ;हक़ाइक =सच्चाइयाँ 
========================================================


किस  लिए  फिरता  हूँ  तनहा  न  किसी  ने  पूछा 

क्यूँ  कहीं  जी नहीं  लगता  न  किसी  ने  पूछा 


जेहन  आवारा , दिल  आवारा , नज़र  आवारा 

कैसे  इस  हाल  को  पहुंचा न  किसी  ने  पूछा 


कौन  है,आया  है  किस  देस  से , किस  से  मिलने  
सब  ने  देखा  मगर  इतना  न  किसी  ने  पूछा 


जाने  क्या  कहते  अगर  पूछता  अहवाल कोई 

खैर  यह  भी  हुआ  अच्छा  न  किसी  ने  पूछा 

बेतअल्लुक    हुए  ‘रूही ’ अजब  अंदाज़  से  लोग 

किस  पे  क्या  हादसा  गुज़रा , न  किसी  ने  पूछा 

~ रूही  कुंजाही 
 अहवाल =समस्याएँ , स्थितियाँ

2 comments:

  1. सबसे पहले तो आपका हमारे ब्लॉग पर आने का और अपनी टिप्पणी देने का शुक्रिया जनाब.......आप शायद हमारे ब्लॉग पर पहली बार आये थे और बहुत जल्दी में थे अगर आपने ऊपर ब्लॉग के बारे में और दाहिनी और ब्लॉग से सम्बंधित कुछ बातें पढ़ी होती तो आपको ये शिकायत नहीं होती.....मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है की मैं किसी की रचना से वाह वाही लूटूं .....और मेरे ब्लॉग के अधिकांश पाठक ये बात जानते हैं और चूँकि आप नए हैं इसलिए अपनी इस पोस्ट का लिंक आपको भेज रहा हूँ....वक़्त मिले तो पढ़िए फिर उसके बाद टिप्पणी कीजिये......तस्वीर के दोनों रुख देखे बिना कोई फैसला करना जल्दबाजी होती है जनाब :-)

    ReplyDelete
  2. पोस्ट का लिंक ये है :-

    http://jazbaattheemotions.blogspot.in/2011/03/blog-post_30.html

    ReplyDelete